Wednesday, September 22, 2010

जुगनी ते जुगना चल मणियाँ,

अर्थ: (जुगनी, जुगना दो सुंदर सखियाँ पानी भरने चलीं. उन्हों ने चमकते मोतियों की पोशाक पहनी है.  इतने में जुगनी स्कूल घुस गई,  लडके तो घबरा कर किताबें उठा कर भागने लागे.  मास्टर लोग  खिड खिड कर हंसने लगे.  जब जुगनी लाहौर गई उसके पीछे चोर पड़ गये.  जुगनी डर कर भागने लगी).



जुगनी ते जुगना चल मणियाँ,
पाणी नु चलियाँ दो जणियां,

साडे बुए दे अग्गे नाली,
उड़ गया कां ते बै गयी लाली,
नी कई सोणी जुगनी-शाब्बा,
नी कई बांकी जुगनी-शाब्बा,
नी कई टोई पिरोती-शाब्बा,
नी कई लिशकन मोती-शाब्बा,
जुगनी ते जुगना चल मणियाँ,
पाणी नु चलियाँ दो जणियां,

जुगनी जा वडी मदरसे,
मुंडे लै किताबाँ नसे,
मास्टर खिड खिड कर के हस्से,
नी कई सोणी जुगनी-शाब्बा,
नी कई बांकी जुगनी-शाब्बा,
नी कई टोई पिरोती-शाब्बा,
नी कई लिशकन मोती-शाब्बा,
जुगनी ते जुगना चल मणियाँ,
पाणी नु चलियाँ दो जणियां,

जुगनी जा वडी लाहौर,
उनांदे  पै गये पीछे चोर,
अग्गे  जुगनी पीछे चोर,
चोरां ते पे गये मोर,
नी कई सोणी जुगनी-शाब्बा,
नी कई बांकी जुगनी-शाब्बा,
नी कई टोई परोती,
नी कई लिशकन मोती,

जुगनी ते जुगना चल मणियाँ,
पाणी नु चलियाँ दो जणियां.

किधरों आयियाँ बेड़ियाँ बेड़ियाँ,

लोकगीत का अर्थ:
(ये  जंज़ीरो वाली नाव और व्यापारी सौदागर लोग कहाँ से आये हैं? नाव  तो अटक से और जेलम से सौदागर आये हैं महलों के पीछे से ठंडी हवा आ रही है. हे  मेरे राँझा !चलो, चुपके से,  हम दोनों वहां  चल बैठें. पर   तुम्हारे लट्ठे के कपड़े तो खड़खड़ करते हैं - और  नई जुत्ती तो चूं चूं करती है, तुम्हारी माँ सुन लेगी इसलिए वे न पहनना).

किधरों आयियाँ बेड़ियाँ बेड़ियाँ,
सौदागर राँझा,
किधरों आहे मल्लाह हो राँझा,
भला किधरों आये मल्लाह हो राँझा,

अटकों आयिन्याँ बेड़ियाँ बेड़ियाँ,
सौदागर राँझा
झेलमों आये मल्लाह हो राँझा,
भला झेलमों आये मल्लाह हो राँझा,

बेड़ियाँ नाल ज़न्जीरियां ज़न्जीरियां,
सौदागर राँझा,
करदियाँ छैणों छैण हो राँझा,
भला करदियाँ छैणों छैण हो राँझा,

मैहलां दे पिछवाड़े पिछवाड़े,
सौदागर राँझा,
ठंडी चल बयार हो राँझा,
भला ठंडी चल बयार हो राँझा,

मैं जे तेनु आखया आखया,
सौदागर राँझा,
लट्ठे दे कपड़े न पा हो राँझा,
भला लट्ठे दे कपड़े न पा हो राँझा,

लट्ठे दे कपड़े खड़ खड़े,
सौदागर राँझा,
सुणसिया तेरी मां हो राँझा,
भला सुणसिया तेरी मां हो राँझा,

मैं जे तेनु आखया आखया,
सौदागर राँझा,
नंवी जुत्ती न पा हो राँझा,
भला नंवी जुत्ती न पा हो राँझा,

नंवी जुत्ती तेरी चीकणी चीकणी,
सौदागर राँझा,
सुणसिया तेरी माँ हो राँझा,
भला सुणसिया तेरी माँ हो राँझा,

मैहलां दे पिछवाड़े पिछवाड़े,
सौदागर राँझा
ठंडी चल बयार हो राँझा,
भला ठंडी चल बयार हो राँझा,

मैं जे तेनु आखया आखया,
सौदागर राँझा,
आ चल छान्वे बैठ हो राँझा,
भला आ चल छान्वे बैठ हो राँझा,।
अर्थ: (मेरा सरदार पति काला है और मैं तो सोने की तार  सी चमकदार हूं. मेरी सास के पाँच बेटों में से चार तो शराबी कबाबी हैं पर मेरा पति मेरे से मैच  करता तो गुलाब के फूल सा खिला हुआ है. सास के दूसरे बेटे तो खाली टीन से खड़खड़ाते  रहतें  हैं पर मेरा पति तो ऑफिस जाता है). 


काला शाह काला,
मेरा काला ई सरदार
गोरेआं नु दफा करो,
मैं आप तिल्ले दी तार
काला शाह काला...

सस्सडिये तेरे पंज पुत्तर,
दो ऐबी, दो शराबी
जेहड़ा मेरे हाण दा
ओ खिड़आ फुल्ल गुलाबी
काला शाह काला...

सस्सडिये तेरे पंज पुत्तर,
दो टीन, दो कनस्तर
जेहड़ा मेरे हाण दा
ओ चला गया ए दफ्तर
काला शाह काला...

इन्दवा ते रसबिन्दवा,दो सके भराह,

इस लोकगीत का अर्थ:
(इन्दवा,बिन्दवा नामक दो भाई दिन में  काम-बपार करते थे.
राजकुमारी को इन्दवा पसंद आ गया. पर इन्दवा तो पठान था राजकुमारी की बात न समझता था. पर कोई बात नहीं, इशारों से ही काम चलने लगा. तो दोनों अनार पकने वाले देस में जा कर  बपार करने लगे. इन्दवा अनार तोड़ता  और राजकुमारी बेचती थी: एक धेले के चार अनार!)

इन्दवा ते रसबिन्दवा,
दो सके भराह,
दिन्ने जांदे नौकरी,
कर आंदे बपार,
चल तेरी मेरी,
चल कोडी फेरी,
कई दिलां दी लैया वे इन्दवे,
कई लाई गावैया वे इन्दवे,

इन्दवा पुतर पठानी दा,
में इक राजे दी धी,
इन्दवे मारी पश्तो,
में न समझी,
इन्दवे चुकया चिमटा,
मै समझ गई,
चल तेरी मेरी,
चल कोडी फेरी,
कई दिलां दी लैया वे इन्दवे,
कई लाई गावैया वे इन्दवे,

चल इन्दवे उस देस नु,
जिथे पकन अनार,
तू तोड़ें में वेचसां,
इक धेले दे चार,
चल तेरी मेरी,
चल कोडी फेरी,
कई दिलां दी लैय्या वे इन्दवे,
कई लाई गवाय्या वे इन्दवे,
चल तेरी मेरी,
चल कोडी फेरी।

नी इक मेरी अख काशनी,

निम्न लोकगीत का अर्थ:
(सुंदर बहु ने आयने में-जैसे ही नजर डाली तो मानों आयना टूट गया. सोचने लगी की सास न जाने क्यों सदा मेरे मायके की बुराई करती रहती है.   देवर तो हम औरतों में ही बना रहता है.  पर मेरा पति तो   बहुत सुंदर, मानो दूध भरा कटोरा, पर उसमें एक ही बुराई है-बिगड़ा हुआ माँ का कि उसी की ही बात मानता है.).

 नी इक मेरी अख काशनी,
दूजा रात दे उन्नींद्रे ने मारेआ,
शीशे ते तरेड़ पै गयी,
वाल वौंदी ने धयान जदों मारेआ,
इक मेरी अख ....

इक मेरी सस्स चंदरी,
भैड़ी रोही दे किकर तों काली,
गल्ले-कथ्थे वीर भुन्नदी
नाले दवे मेरे माँ-पयां नू गाली,
नी क़ेहडा उस चंदरी दा,
नी मैं लाचीयाँ दा बाग उजाड़आ,
इक मेरी अख काशनी...

दूजा मेरा दियोर निकड़ा,
भैड़ा गोरियाँ रन्ना दा शौंकी,
ढुक ढुक नेह्ड़े बैठदा,
रख सामणे रंगीली चौंकी,
नी इस्से गल तों डरदी ,
अजे तीक वी न घुण्ड नूँ उतारया,
इक मेरी अख काशनी...

तीज़ा मेरा कंत ज़िम्वे,
रात चानड़ी च दुध दा कटोरा,
फिकड़े सिन्दूरी रंग दा,
ओदे नैणा च गुलाबी डोरा,
नी इको गल माड़ी उसदी,
लाईलग नु है माँ ने विगाडिया।

Wednesday, April 7, 2010

काला डोरिया कुंडे विच अड़या होय,

अर्थ:( काला धागा कुंडे मे अड़ गया है. अरे छोटे देवर!  इकलौती भाभी से लड़ाई मत  किया करो.  सास तो सदा ताने देती रहती है. और कपड़े आदि सब कुछ ले लेती है. अपनी माँ तो सब इच्छाएं पूरी किया करती थी. मैं ससुराल नहीं जाउंगी).

काला डोरिया कुंडे विच अड़या होय,
के छोटा  देवरा भाबी नल लड्या होय,
न लड़ देवरा तेरी दूर भलाई वे,
के न लड़ सोण्या तेरी इक भरजाई होय,

कुकडी ओ लैणी जेड़ी आंडे देंदी ए,
के सोरे नहीं जाणा सस्स मैंणे देंदी ए,
काला डोरिया कुंडे विच अड़या होय,
के छोटा देवरा भाबी नल लड्या होय,

कुकडी ओ लैणी जेड़ी कुडकुड करदी ए,
के सोरे नहीं जाणा सस्स बुडबुड करदी ए,
काला डोरिया कुंडे विच अड़या होय,
के छोटा देवरा भाबी नल लड्या होय,

सुथणा छींट दियां मुल्तानों आयियाँ ने,
सस्सां पराइयां ने जिनां गलों लवाइयाँ ने.
काला डोरिया कुंडे विच अड़या होय,
के छोटा देवरा भाबी नल लड्या होय,

सुथणा छींट दियां जेणियाँ लाहौरों आइन्याँ ने,
माँवां आपनियाँ जिन्ना सदराँ लाइयाँ ने.
काला डोरिया कुंडे विच अड़या होय,
के छोटा देवरा भाबी नल लड्या होय,

साडी गली आ माहिया तेनु मज़ा चखावांगे,
आ खां माहिया वे तेनु कुत्ते लड़ावांगे,
काला डोरिया कुंडे विच अड़या होय,
के छोटा देवरा भाबी नल लड्या होय.

Tuesday, March 16, 2010

पंजाबी लोकगीत

अर्थ:
(मेरी सितारों जड़ी जूती नारान्वल से आई है. मेरे पैरों पर धूल पडती थी. हे मेरे राँझा ऐसी ही जूती होनी  चाहिए):-

जुत्ती मेरी नारान्वाल दी,

सितारेयाँ जडत जड़ी,

मेरेया राँझा,
जुत्ती होवे तां एवा जयी,

पा जुत्ती मैं चल पयी,
मेरे पबयाँ ते धूड़ पयी.

मेरेया राँझा जुत्ती,
होवे तां एवा जई.

पंजाबी लोकगीत

किधरों आयियाँ बेड़ियाँ बेड़िया,

सौदागर राँझा,
किधरों आहे मल्लाह हो राँझा,
भला किधरों आये मल्लाह हो राँझा,

अटकों आयिन्याँ बेड़ियाँ बेड़ियाँ,
सौदागर राँझा
झेलमों आये मल्लाह हो राँझा,
भला झेलमों आये मल्लाह हो राँझा,

बेड़ियाँ नाल ज़न्जीरियां ज़न्जीरियां,
सौदागर राँझा,
करदियाँ छैणों छैण हो राँझा,
भला करदियाँ छैणों छैण हो राँझा,

मैहलां दे पिछवाड़े पिछवाड़े,
सौदागर राँझा,
ठंडी चल बयार हो राँझा,
भला ठंडी चल बयार हो राँझा,

मैं जे तेनु आखया आखया,
सौदागर राँझा,
लट्ठे दे कपड़े न पा हो राँझा,
भला लट्ठे दे कपड़े न पा हो राँझा,

लट्ठे दे कपड़े खड़ खड़े,
सौदागर राँझा,
सुणसिया तेरी मां हो राँझा,
भला सुणसिया तेरी मां हो राँझा,

मैं जे तेनु आखया आखया,
सौदागर राँझा,
नंवी जुत्ती न पा हो राँझा,
भला नंवी जुत्ती न पा हो राँझा,
नंवी जुत्ती तेरी चीकणी चीकणी,
सौदागर राँझा,
सुणसिया तेरी माँ हो राँझा,
भला सुणसिया तेरी माँ हो राँझा,

मैहलां दे पिछवाड़े पिछवाड़े,
सौदागर राँझा
ठंडी चल बयार हो राँझा,
भला ठंडी चल बयार हो राँझा,
मैं जे तेनु आखया आखया,
सौदागर राँझा,
आ चल छान्वे बैठ हो राँझा,
भला आ चल छान्वे बैठ हो राँझा,.

पंजाबी लोकगीत

इस वेले कौण कौण जागे पुण करने दा वेला,
इस वेले बाबल जागे पुण करने दा वेला,
बाबल पुण करे दान करे गंगा दा इसनान करे,
नाल लिआवे वरघर पुण कने दा वेला .

इस वेले कौण कौण जागे पुण करने दा वेला,
इस वेले भैया जागे पुण करने दा वेला,
भैया पुण करे दान करे गंगा दा इसनान करे,
नाल लिआवे दाजो पुण करने दा वेला.

इस वेले कौण कौण जागे पुण करने दा वेला,
इस वेले चाचा जागे पुण करने दा वेला,
चाचा पुण करे दान करे गंगा दा इसनान करे,
नाले लैआवे गुलियाँ पुण करें दा वेला,

इस वेले कौण कौण जागे पुण करने दा वेला,
इस वेले मामा जागे पुण करने दा वेला,
मामा पुण करे दान करे गंगा दा इसनान करे,
नाले लै आवे चूड़ा पुण करने दा वेला.

बेटी चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी,

बेटी चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी, पंजाबी लोकगीत
नी जाईये, चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी,
मैं तां खड़ी सां बाबल जी दे पास,
बाबलजी तों आस,
बाबल वर लोड़ीये,
नी बेटी कियो जया नी लाडो,
कियो जया वर लोडिये,
वे बाबल! ज्यों तारयाँ विचों चान,
चान्नां विच्चों कान्ह,
कन्हयिया वर लोडिये,

बेटी चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी,
नी जाईये, चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी,
मैं तां खड़ी सां भैया जी दे पास,
भैयाजी तों आस,
भैया वर लोडिये,
नी बहना कियो जया नी लाडो,
कियो जया वर लोडिये,
वे भैया, ज्यों तारयाँ विचों चान,
चान्नां विच्चों कान्ह
कन्हयिया वर लोडिये

बेटी चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी,
नी जाईये, चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी,
मैं तां खड़ी सां चाचाजी दे पास,
चाचजी तों आस,
चाचा वर लोडिये,
नी बेटी कियो जया नी लाडो,
कियो जया वर लोडिये,
वे चाचा! ज्यों तारयाँ विचों चान,
चान्नां विच्चों कान्ह,
कन्हयिया वर लोडिये,

बेटी चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी,
नी लाडो, चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी,
मैं तां खड़ी सां मामाजी दे पास,
मामा जी तों आस,
मामा वर लोड़ीये,
नी बेटी कियो जया नी लाडो,
कियो जया वर लोडिये,
वे मामा ! ज्यों तारयाँ विचों चान,
चान्नां विच्चों कान्ह,
कन्हयिया वर लोडिये,

पंजाबी लोकगीत

ये शगुन-गीत कहलाते हैं और कन्या के घर विवाह की रस्में करते हुए गाये जाते हैं.
जाग नी मेरी बाल कन्या,
जाग रुकमणी राणीये.
कीकण जागां मेरेया भोलेया लोका,
कीकण जागां मेरेया लखेया देसा,
बाबल तां वरघर नहीं लेआयेया,
बाबल तेरा दान करदा,
लै गडवे इशनान करदा,
मोतियाँ बाबल चौक पूरदा,
बाबल तां वर घर लै आयेया.

जाग नी मेरी बाल कन्या,
जाग रुकमणी राणीये.
कीकण जागां मेरेया भोलेया लोका,
कीकण जागां मेरेया लखेया देसा,
भैया तां दाजो नहीं लैआएया
भैया तेरा दान करदा,
लै गडवे इशनान करदा,
मोतियाँ भैया चौक पूरदा,
भैया  दाज लै के आयेया

जाग नी मेरी बाल कन्या,
जाग रुकमणी राणीये.
कीकण जागां मेरेया भोलेया लोका,
कीकण जागां मेरेया लखेया देसा,
चाचा तां गुलियान नहीं लैएया
चाचा तेरा दान करदा,
लै गडवे इशनान करदा,
मोतियाँ चाचा चौक पूरदा,
चाचा गुलियान लै आयेया.

जाग नी मेरी बाल कन्या,
जाग रुकमणी राणीये.
कीकण जागां मेरेया भोलेया लोका,
कीकण जागां मेरेया लखेया देसा,
मामा तां चूड़ा नहीं लेएया.
मामा तेरा दान करदा,
लै गडवे इशनान करदा,
मोतियाँ मामा चौक पूरदा,
मामाजी  चूड़ा लै के आयेया.

Wednesday, March 3, 2010

सड़के सड़के जान्दिये मुटिआरे नी

सड़के सड़के जान्दिये मुटिआरे नी,
कंडा चुबा तेरे पैर बांकिये नारे नी.
कौन कडे तेरा कांडड़ा मुटिआरे नी,
कौन सहे तेरी पीड बांकिये नारे नी.
भाबो कडे मेरा कांडड़ा सिपैया वे,
वीर सहे मेरी पीड मैं तेरी मेहरम न.
खुई ते पाणी भरेंदिये मुटिआरे नी,
पाणी दा घुट पिला, बांकिये नारे नी.
अपना कड्या न दवां सिपैया वे,
लज्ज पई भर पी, जान्देया रहिया वे.
घड़ा तेरा जे भन्न देयां मुटियारे नी,
लज्ज करां टोटे चार , बांकिये नारे नी.
घड़ा भजे कुम्ह्यारां दा सिपैया वे,
लज्ज पट्टे दी डोर मैं तेरी मेहरम न.
वड्डे वेले दी टोरिये सुण नूअडिये,
आयियों शामां पा नी भोली नूअडिये.
इक उच्चा लम्मा गाबरू सुण सस्सडिये,
बैठाई झगड़ा पा नी भोलिए सस्सडिये.
ओ तां मेरा पुत्त लग्गे सुण नूअडिये,
तेरा लागदा ए कंत नी भोली नूअडिये.
भर कटोरा दुधे दा नी सुण नूअडिये,
जाके कंत मना नी भोली नूअडिये.
तेरा आंदा मैं न पियाँ मुटिआरे नी,
खुए वाली गल सुणा नी बांकिये नारे नी.
निक्की हुन्दी नू छड्ड गया सिपैया वे,
हुण होइयां मुटिआर मैं ता तेरी मेहरम हाँ.
सौ गुनाह मन्ने रब बख्शे सिपैया वे,
इक बख्शेंगा तू, मैं ता तेरी मेहरम हाँ.

( मेहरम=beloved) .

Monday, March 1, 2010

लट्ठे दी चदार उत्ते सलेटी रंग माहिया

लट्ठे   दी  चदार  उत्ते  सलेटी  रंग   माहिया
आवो  सामणे   कोलों  दी  रुस   के  न  लंग  माहिया
चन्ना  कंदन  तूं  मारया  ए  अख  वे
सद्दे  आती  दे  विच  हथ  वे
लट्ठे   दी  चादर  उत्ते  सलेटी  रंग  माहिया
आवो  सामणे  कोलों  दी रुस   के  न  लंग  माहिया
चन्ना  वेख  के  न  सद्दे  वाल  हस  वे
सद्दे  माँ  पई  करेंदे  ए  शक  वे
लट्ठे   दी  चादर  उत्ते  सलेटी  रंग  माहिया
आवो  सामणे  कोलों  दी  रुस   के  न  लंग  माहिया
गल्लां   गोरियां  ते  काला  काला  तिल  वे
सन्नू  अज  पिछवाड़े  मिल  वे
लट्ठे   दी  चादर  उत्ते  सलेटी  रंग  माहिया
आवो  सामणे  कोलो  दी  रुस   के  न  लंग  माहिया
गल्लां  गोरियां  ते  काला  काला  तिल  वे
साड़ा कड़  के   लेगया  दिल  वे
लट्ठे   दी  चादर  उत्ते  सलेटी  रंग  माहिया
आवो  सामणे  कोलो  दी रुस   के  न  लंग  माहिया
तेरी   माँ  ने  चाडया   साग  वे
आसान  मंग्या  ते  मिलया  जवाब  वे
लट्ठे   दी  चादर  उत्ते  सलेटी  रंग  माहिया
आवो सामणे  कोलो  दी रुस   के  न  लंग  माहिया
तेरी   माँ  ने चाड़ियाँ   ए  गंदालन
आसान  मंगियाँ  ते  पैगयिया द्न्द्लां
लट्ठे   दी  चदार उत्ते सलेटी रंग माहिया
आवो  सामणे  कोलो दी रुस  के न लंग माहिया
तेरी   माँ  ने  चेद्य  ए  खीर  वे
अस्सं  मांगी  ते पैगई   पीढ  वे
लट्ठे   दी  चादर उत्ते सलेटी रंग माहिया
आवो  सामणे  कोलो  दी  रुस  के न लंग माहिया
साड़े  दिल विच की की  वासियां
न तूं  पुछियाँ  ते  न  असी  दसियाँ
लट्ठे  दी चादर उत्ते सलेटी रंग माहिया
आवो  सामणे  कोलो दी रुस  के न लंग माहिया

Sunday, February 28, 2010

काला डोरिया कुंडे विच अड़या होय-पंजाबी

काला डोरिया कुंडे विच अड़या होय
के छोट देवरा भाबी नल लड्या होय
न लड़ देवरा तेरी दूर भलाई वे
के न लड़ सोण्या तेरी इक भरजाई होय
कुकडी ओ लैणी जेड़ी आंडे देंदी ए
के सोरे नहीं जाणा सस्स मैंणे देंदी ए
काला डोरिया कुंडे विच अड़या होय
के छोट देवरा भाबी नल लड्या होय
कुकडी ओ लैणी जेड़ी कुडकुड करदी ए
के सोरे नहीं जाणा सस्स बुडबुड करदी ए
काला डोरिया कुंडे विच अड़या होय
के छोट देवरा भाबी नल लड्या होय
सुथणा छींट दियां मुल्तानों आयियाँ ने
सस्सां पराइयां ने जिनां गलों लवाइयाँ ने.
काला डोरिया कुंडे विच अड़या होय
के छोट देवरा भाबी नल लड्या होय
सुथणा छींट दियां जेणियाँ लाहौरों आइन्याँ ने
माँवां आपनियाँ जिन्ना सदराँ लाइयाँ ने.
काला डोरिया कुंडे विच अड़या होय
के छोट देवरा भाबी नल लड्या होय
साडी गली आ माहिया तेनु मज़ा चाखावांगे
आ खां माहिया वे तेनु कुत्ते लड़ावांगे
काला डोरिया कुंडे विच अड़या होय
के छोट देवरा भाबी नल लड्या होय

Saturday, February 27, 2010

पंजाबी गीत ( बेटे की शादी के अवसर पर)

सुच्ची वास्कट वालेया सोने दे बटन लवा
शाला तूं जीवें मुरादां वेखी माँ
अज मेरे राजे दी जंज चड़ी मुरादां नाल
जीवण जोगे दी जंज चड़ी मुरादां
इस मेरे सोणे दी माँ खुश पई थीन्दी ए
जीवण जोगे दी माँ खुश पई थीन्दी ए
लाल माण के न माण
सोणेया   माण के न माण
चूड़े वाली वोटी आण
चंबा कें राया कें राई चम्बेल
मरुआ कें राया साडे बुए दे चहुँ चफेर
सुच्ची वास्कट वालेया सोने दे बटन लवा
शाला तूं जीवें मुरादां वेखी माँ

होली है

होली है
रंगों  वाली होली है
रंग भर भर बरसे
होली है

होली आज ऐसे मनाना
पिय अंग से अंग मिलाना
सजन हमें ऐसे रंग लगाना
तन मन भीज  जाये
भीगूँ और भिजाऊं
रंगों से खूब नहालाऊँ

कुछ ऐसे पकवान पकाऊँ
सजन मन भायें-
लड्डू-जलेबी,गुजिया-कचोडी,
घेवर-इमारती,  बर्फी-पकौड़ी
डाल बाटी चूरमा
जो खाए वह सूरमा

कि होली है भई होली है
गुलाल  बरसे होली है
रंगों वाली होली है
रंग भर भर बरसे
होली है

Gori diyaN jhanjraN bulauNdiya gayeaN...gori diyan,

गोरी दियां झान्जरां  बुलौन्दिया  गैयाँ...
गोरी  दियां ,

गलियां दे  विच  दंड  पौन्दियाँ  गैयाँ...
गोरी  दियां .
अथरी  जवानी  गल्लां  पयी   दसदी ,
माह़ी  गुसे हो  गया  न  गल  वस  दी ,
राह जांदे राहिय  नू  सुनौन्दिया  गैयाँ .
गोरी  दियां ............................................. ...!
काले  जे  दुपट्टे  ने  की  पयेई   नीर  नी ,
घुण्ड   विच  नैन  ओहदे  लए  घेर  ने ,
मित्रां  दा  दिल  तदपौन्दिया  गैयाँ .
गोरी  दियन ...................................!
सान्बे  जाण  नखरे  न  अंग  अंग  दे ,
वीणी उठे  नाच्दे  बिलोरी  रंद  गे ,
अशिका  दे  लहू  च  नहौन्दिया  गयेइअण .
गोरी  दियां .........................................!
सांब  के  तू  रख  लै  ननाने  गोरिये ,
रूप  दा  सिंगार  जालीदार  डोरिये,
नूरपुरी  कोल  शर्माऊ नदीय  गेयान .
गोरी  दियां  झंज्रण ...........................!
गलियां  दे  विच  दंड  पौन्दिया  गयें .





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Friday, February 26, 2010

डाची वालेया मोड़ मुहाल वे,
सोणी वालेया लै च नाल वे
तेरी डाची दे गल विच तल्लियाँ
ओये मैं पीर मनाण  नूं चकुइयन

Wednesday, February 24, 2010

फुल्लां दी बहार राती आयों न -पंजाबी

 फुल्लां दी  बहार राती आयों न
शाब्बा राती आयों न
फुल गये कुम्ला गौरी  मन भायो न
शाब्बा राती आयों न
आसे पावां पासे पावां विच विच पावां कलियाँ 
जे मेरा रान्जण न मिलया, मैं  ढुंडियां सारियां गालियाँ
राती आयों न
फुल्लां दी बहार राती आयों न
शाब्बा राती आयों न

इक मेरा रान्जण आया-शाब्बा
दिल दा सांजण आया-शाब्बा
दिल दी मस्ती आई- शाब्बा
खिड खिड हस्ती आई-शाब्बा
इक मेरा लाल गवाचा- शाब्बा
लाल गुपाल गवाचा-शाबा

नी सुण मेरिये माये-शाब्बा
डीवा बाल चुबारे-शाब्बा
नी मेरा दिल घबराया-शाब्बा
नी मेरा लाल न आया-शाब्बा
लाल गुपाल न आया-शाब्बा
फुल्लां दी बहार राती-आयों न
शाब्बा राती आयों न
फुल गये कुम्ला गौरी मन भायो न
शाब्बा राती आयों न

शाब्बा चरखा चन्दन दा
शाब्बा चरखा चन्दन दा
चरखा कूकर  देंदा-शाब्बा
कूकर लगी कलेजे-शाब्बा
इक मेरा दिल पाया धडके-शाब्बा
दूजे कंगणा छणके-शाब्बा
राती आयों न
फुल्लां दी बहार राती आयों न
शाब्बा राती आयों न
फुल गये कुम्ला गौरी मन भायो न

चरखा चन्दन दा
शाब्बा चरखा चन्दन दा
माँ मेरी ने चरखा दित्ता
विच चरखे दे  मेखां
माँ राणी मैनू  याद पई आवे
झट चरखे वल वेखां
चरखा चन्दन दा
शाब्बा चरखा चन्दन दा
फुल्लां दी बहार राती यों न
शाब्बा राती आयों न

आसे पावां  पासे पावां विच विच पान्वां रेशम
जे मेरा रान्जण न मिलया मैं ढूंडा सारा टेशन
राती आयों न
शाब्बा राती आयों न
फुल्लां दी बहार राती आयों न
शाब्बा राती आयों न
फुल गये कुम्ला गौरी मन भायो न
शाब्बा राती आयों न

Tuesday, February 23, 2010

जोगी मैं तो लुट गयी तेरे प्यार में

जोगी मैं तो लुट गयी तेरे प्यार में
हाय तुझे इसकी  खबर कब होगी

बागे दे विच सपणी जे सुइए
ते कारदी ए मेनू मेनू
बच के  निकलीं  मेरेया माहिया
कि न लड़ जावे तैनू
लुट्टी हीर वे यरां दी
हाल वे रब्बा मारी तेरियां गमां दी.

चलो सहियो चल वेखण   चलिए
रांझे दा चौबारा
हीर विचारी इट्टा  ढोवे
ते राँझा ढोवे गारा
लुट्टी हीर वे यरां दी
हाल वे रब्बा मारी तेरियां गमां दी.

चलो सहियो चल वेखण चलिए
रांझे पाई हट्टी
हीर निमाणी कम करेंदी
हाय न होवे खट्टी
लुट्टी हीर वे यरां दी

हाल वे रब्बा मारी तेरियां गमां दी.

Saturday, February 20, 2010

डिग पई नी गौरी शीश महल तों,

डिग पई नी गौरी शीश महल तों,
पा देवो नी मेरे माहिये वल चिठियाँ,
पहुंच गई नी चिट्ठी विच कैचहरी,
पढ़ लई नी माहिये पटां उत्ते धर के,
मंग लई नी माहिये छुट्टी दफ्तर तों,
कस लईयां नी माहिये बूट जराबां,
पहुंच गया  नी माहिया कोल गौरी दे,
दस खां नी गौरिये हाल दिलां दे,
सुण माहिया वे हुन्दी पीड कलेजे, 
छोड़ क्यों  गयों माहिये विच अगां दे,

लै जा वे माहिये नाळ शहरां नूं,
हाँ हाँ गौरिये चल नाल तु मेरे
जित्थे रवां मैं  उत्थे तेनु वी लै जावांगा.


Tuesday, February 9, 2010

पंजाबी लोकगीत: जग्गा जमया ते मिलन वधाईयां

जग्गा जमया ते मिलन वधाईयां,
के वड्डा हो के डाके डालदा,
जगया!
के तुर परदेस गयों वे
बुआ वजया!

-जदों, जमया ते मिलन वधाईयां,
के सारे पिंड गुड वण्डया,
जगया!
के तुर परदेस गयों वे बुआ वजया!

-जे मैं जाणदी जग्गे मर जाणा,  
मैं इक थाईं  दो जणदी, 
जगया!
टुट्टी होई माँ दे कलेजे
छुरा वजया!

-जग्गे मारया लैलपुर डाका,
तारां खड़क गईयाँ आपे,
तारीख पुग्तनगे तेरे मापे,

-जग्गे जिन्दे नू सूली उत्ते टंगया,
 ते भैण दा सुहाग चुमके,
मखाना!
के क्यों तुर चले गयों
बेडा चखना,

जग्गा मारया बोड दी छां ते,  
नौ मण रेत भिज गयी, सूरना!
हाय माँ दा मार दित्तइ  पुत्त सूरमा,

जग्गा जट्ट दा, जांघिया पट्ट दा
के किल्ले उत्ते टंगया रह गया-सूरना!  
नईयां ने वड छडया जग्गा सूरमा!


कच्चे पुल्ले ते लड़ाईयां होइयां,
के छाबियाँ दे घुण्ड मुड़ गये,
जगया, के तुर परदेस गयों वे बुआ वजया,

-चली दुक्खां दी अन्हेरी ऐसी,  
दीवे वाली लाट बुझ गयी,
चानना!
वे तेरे बिना मान कित्थे?
नहिंयों जानना?

- वे तू दुक्ख पुत्तरां दा वेखें,   
वे टूटे तेरा मान हाकमा,
ढोल वे!
के गंगाजल विच क्यों दित्तइ
जहर घोल वे,

-सानू शगणा दा कर दे लीरा,  
के छड़ेयां दा पुन्न तोड़  दे, 
हाल नी!
के होणी खेड गयी चाल,
नेरे नाळ नी,

-बारी खोल के यारी दी लाज रख लै,
 लाज रख लै, मित्तरो! तेरे चन दी,
नारे नी
देख तेनु सज्जन बुए ते वाजाँ मारे नी,

-लम्ब होकयां दे बल पये  औंदे ,  
के खदरान नू अग्ग लग गई,  हाय नी!
के भौर उड़ गये ते फुल  कुम्ल्हाने नी.

Sunday, February 7, 2010

गुजरती लोकगीत: गुजरती लोकगीत

वान्ना वगडा न वायरा वायरे,
कन्ने घूमरियो घुम तो गायरे,

रासे रमे, रासे रमे,
गोप गोपियों नी संग,
जामयो वृन्दावन ने मार गड़े रंग,

वान्ना वगडा न वायरा वायरे,
कन्ने घुमरिया घूम तो गायरे.

घेरी घेरी, घेरी घेरी,
एनी वागे मुरलियो,
गौरी गौरी राधा ने,
सुंदर श्यामडियो,

वान्ना वगडा न वायरा वायरे,
कन्ने घुमरिया घूम तो गायरे.

पंजाबी गीत: "लायी वी न गयी ते निभाई वी न गयी",

लायी वी न गयी ते निभाई वी न गयी,
मेरे माण दा जहां जग सारा,
तेरी मेरी यों टुट गयी, सोणिए!
जिन्वे टुटया अम्बरों तारा.
लायी वी न गयी ते निभाई वी न गयी,

सोच्च्या नहीं सी, मेरा प्यार भुल जायेंगी,
एन्ने कीते कीते होए, करार भुल जाएँगी,
करार भूल जाएँगी,
दिल मिल के बिछड़ गया यारा,
तेरी मेरी यों टुट गयी, सोणिए!
जिन्वे टुटया अम्बरों तारा.
लायी वी न गयी ते निभाई वी न गयी,

सच्चा न बुरा था, मुहं मोड़ जाण वालिये
दिल लै के मेरा, दिल तोड़ जाण वालिये
हाय दिल टुटया न जुड़े दुबारा
तेरी मेरी यों टुट गयी, सोणिए!
जिन्वे टुटया अम्बरों तारा-
लायी वि न गयी ते निभाई वि न गयी,

मेरे माणदा जहां जग सारा,
तेरी मेरी यों टुट गयी, सोणिए!
जिन्वे टुटया अम्बर तों तारा.

Saturday, February 6, 2010

पंजाबी गीत: संतर्या वे रस देया भरया,

 संतर्या वे रस देया भरया,
माही गंगा दे राह विच लड्या,
के एत्थों दिल सड़या,
वन्जारेया, वारी मेरी जाण,
 लगें पियारेया,

संतरा ते फुट्टियां फुट्टियां,
माही दफ्तरों मंगियाँ छुट्टियाँ,
के  छुट्टी नहियों मिलदी,
व्न्जारेया, वारी मेरी जाण,
लगें पियारेया,

संतरा ते रस पयी चोवे,
माही भरी कचेहरी रोवे,
के छुट्टी नहियों मिलदी,
वनजारेया, वारी मेरी जाण,
लगें पियारेया,


तेरे भाइयां ने वंड लए भांडे,
न जावीं बिशार्मा लेणे,
के इको भांडा आउगा,
वनजारेया, वारी मेरी जाण,
लगें पियारेया,.

सानु इको भांडा बथेरा,
थाल मेरा ते कौल तेरा,
ते काके दी गिलासी आ,
वनजारेया, वारी मेरी जाण,
लगें पियारेया.

तेरे भाइयां ने वण्ड लए मकान,
न जावीं बिशार्मा लेणे,
के इको मकान आउगा,
वनजारेया, वारी मेरी जाण
लगें पियारेया.

सानु इको मकान बथेरा, 
कमरा तेरा ते हाल मेरा
ते काके दी कोठी आ,
 वनजारेया, वारी मेरी जाण.
 लगें पियारेया.

तेरे भाइयां ने वण्ड लए गहने
न जावीं बिशरमा लेणे
के इको गहना आउगा,
 वनजारेया, वारी मेरी जाण.
 लगें पियारेया.

सानु इको गहना बथेरा
छाप मेरी ते हार तेरा,
ते काके दी जंजीरी आ
वन्जारेया वारी मेरी जान
लगें पियारेया.

पंजाबी गीत: जा वे ढोलना मैं नहिंयों बोलना

जा वे ढोलना मैं नहिंयों   बोलना,
तेरी साड्डी बस वे,
राती कित्थे  गया सें,
 राती कित्थे गया सें वे,
वे राती कित्थे गया सें


  जद  मैं पुछिया सस्स कोलो,
 तेरा पुत्त कदों  घर औ, 
कहन्दी तेरी कलमुन्ही,
जद तू  घर छड  के जाऊ,
हाय मरे   ऐहो   जेह़ी सस्स वे,
राती कित्थे गया सें,
वे राती कित्थे गया सें,


जद मैं कया सोहरे  नू   तेरा पूत बड़ा आवारा, 
 कहंदा मेरा पुत्त तां   हीरा,
 तू  शदाइ ,  झल्ली,
 घर विच मच गाए, घंड मार,
वे  राती कित्थे गया सें, 
वे राती कित्थे गया सें,



जद मैं कह देवर नु,
 तेरा वीर क्यों नई आया,
 कहंदा भाभी रुल  दिता तू,
मेरी माँ   दा जाया, 
हाय कित्थे गयी  मैं फस वे, 
राती कित्थे गया सें, 
वे राती कित्थे गया सें,


जद मैं पूछिय दिल कोलो,
तेरा कित्थे गया राह कोटी,  
कहंदा कित्थे जायेगा  ओह,
तेरे जेह़ी छड़  के वोहटी, 
एह सुन   के पये मैं हास पई,
वे  राती कित्थे गया सें, 
वे राती कित्थे गया सें.

Friday, February 5, 2010

पंजाबी गीत: लायिया ते तोड़ निभावीं,

लायिया ते तोड़ निभावीं,
चन्न वे,
छड के न जान्वीं,
बीबा छड के न जांवीं...

माही सहुकारा वे,
कुड़ी मैं गरीबाँ दी,
तेरे हथ डोर,
चन्ना मेरिया,
मेरे नसीबाँ दी,
लायिया ते तोड़ निभावीं...
चन्न वे,
छड के न जान्वीं बीबा,
छड के न जांवीं...

किसे किसे वेले चन्ना मेरेया,
जाण मेरी दरदी वे,
सुनया ऐ लगी होई,
तोड़ नइयों छडदी,
चन्न वे,
लायियाँ ते तोड़ निभावीं,
छड के न जान्वीं,
बीबा छड के न जान्वीं

इस ताज महल उत्ते एहियो सोहे,
जिंदगी चलाई ए तेरे नाम लई,
हाँ तेरे नाम लई,
लायियाँ ते तोड़ निभावीं,
चन्न वे,
छड के न जान्वीं,
बीबा छड के न जांवीं...

पंजाबी गीत: ढोल चन वे,

 ढोल चन वे,
लखां तेरियां मन्निया,
तू इक मन वे,
ढोल मखणा,
दिल राजी रखना.
उची माड़ी ते दुध पई रिडकां,
मेनू सारे टब्बर दियां झिडकां,
मेनू तेरा इ दिलासा,
वे चन्न वे...
वे बाजार विकेंदी बर्फी,
मेनू ल्यादे दे निक्की जहि चरखी,
ते दुक्खा दियां पूनियां,
वे चन्न वे...
वे बाजार विके दुध कडया,
माह़ी कंजरी दे नालों फडया,
हाय एथों दिल सडया,
वे चन्न वे.

Thursday, February 4, 2010

पंजाबी लोकगीत. इक मेरी अख काशनी,:

इक मेरी अख काशनी,
दूजा रात दे उन्नींद्रे ने मारेया,
शीशे ते तरेड़  पै गयी, 
वाल वौंदी ने  धयान जदों मारेया,
के इक मेरी अख ....

इक मेरी सस्स चंदरी,
भैड़ी रोही दे बूटे नालों काली,
दिन रात रवे घूरदी, 
नाले दवे मेरे माँ-पयां नू गाली,
नी क़ेहडा उस  चंदरी दा,
असां  लचियां दा बाग उजाड़ेया,
के इक मेरी अख काशनी...

 के इक मेरा दियोर निकड़ा,
भैडा गौरियाँ रन्ना दा शौकी,
ढुक ढुक नेह्ड़े बैठदा,
रख सामणे रंगीली चौंकी,
नी इस्से गल तों डरदी ,
असां तीक वी न घुण्ड नूं उतारया,
के इक मेरी अख काशनी...

इक मेरा कंत ज़िम्वे, 
रात चानड़ी च दुध डा कटोरा,
रात दे सिन्दूरी रंग दा,
ओदे नैणा च शराबी डोरा,
नी इको गल माड़ी उसदी,
लाईलग नु है माँ ने बिगाडिया.

के इक मेरी अख काशनी,
दूजा रात दे उन्नींद्रे ने मारेया,
शीशे ते तरेड पै गयी,
वाल वौंदी नु धयान जदों मारेया.

Tuesday, February 2, 2010

राजस्थानी---गीत काहे को ब्याही बिदेस रे

 गीत काहे को ब्याही बिदेस रे
सुण बाबुल म्हारे,
भैया को दीना बाबुल महेला दुमेहला
म्हारे को  दियो  परदेस रे
सुण बाबुल म्हारे,
हम तो बाबुल थारे खूंटे की गैया,
जिधर बांधा बांध जाये रे,
सुण बाबुल म्हारे,'
जद म्हारो डोला महलों से निकला,
अम्मा ने खाई पछाड़ रे,
सुण बाबुल म्हारे,
जद म्हारो  डोला सडक पर आयो ,
भैया ने खाई पछाड़ रे,
सुण बाबुल म्हारे,
जद म्हारो डोलो बागां  मँ आयो,
कोयल बोल्यो तीखो बोल रे
सुण बाबुल म्हारो.

ए काली कोयल तू काहे बोल्यो,
हमको मिला परदेस रे,
सुण बाबुल म्हारो.

डोली रो पर्दों उठाके जग रोयो,
अब साजान जी रा देस रे,
सुण बाबुल म्हारो.

राजस्थानी गीत-- बन्नी पिछवाड़े रो आणा जाणा छोड़ दे,

बन्नी पिछवाड़े  रो
आणा  जाणा  छोड़ दे,

हाथ थारे  रेशम सरीखे
बन्नी मेंहंदी रो  लगाणा छोड़ दे,

पग थारे कमल् सरीखे,
बन्नी पायल रो
पहनना छोड़ दे,

बाल थारे रेशम सरीखे,
बन्नी वेणी रो
लगाणा छोड़ दे,

आँख थारी हिरणी सरीखी,
बन्नी काजल्ड रो
लगाणा छोड़ दे.

राजस्थानी गीत-- काच्ची कली न तोड़ रे बनडे ,

  काच्ची कली न तोड़ रे  बनडे  ,
डाली झुक आई.
हाँ रे डाली झुक आई,

शीश बन्ने के सेहरा सोहे,
लड़ियों पर नज़र हमारी,
रे बनडे डाली झुक आई,

अरे हाँ डाली झुक आई,
काच्ची कली न तोड़ रे बनडे ,

डाली झुक आई.

राजस्थानी लोक गीत---हाथी का हज़ार लागे,

हाथी का हज़ार  लागे, 
घोड़े का पचास लागे.
बाइसिकल का साठ 
जी   बन्ना,

दे दियो तार मंगा लिणी मोटर.
बैठ पडब वाको चाला
जी बन्ना.

हाथी का हज़ार लागे,
घोड़े का पचास लागे.

Saturday, January 30, 2010

पंजाबी लोकगीत--चन्ना वे तेरी मेरी चानड़ी, तारया वे तेरी मेरी लो

चन्ना वे तेरी मेरी चानड़ी, तारया वे तेरी मेरी लो
चन्न पकावे रोटियां
तारा करे रसो
चन्न दियां पक्कियां खा लईयां
तारे दियां रह गईयाँ दो
सस ने मैनू आख्या
घ्यो विच आटा गो
घ्यो विच आटा थोडा पया
सस्स मैनू गलियां देवे
न दे सस्से गलियां
एथे मेरी कौन सुणे
बागे दे विच मेरा बापू खड़ा
रो रो नीर भरे
न रो बापू मेरेया
इत्थे मेरा कौन सुणे
बागे दे विच वडा भराह
रो रो नीर भरे
न रो वीरा आपने
इत्थे मेरा कौन सुणे
न रो माये मेरिये
इत्थे मेरा कौन सुणे

पंजाबी लोकगी---ततिरंजन बैठियाँ नाराँ भला जी झुरमुट पाया ए,--

-तिरंजन बैठियाँ नाराँ भला जी झुरमुट पाया ए,
कूं कूं चर्खया, मैं लाल पूणी कतां के न?
कत्त बीबी कत्त.
दूर मेरे सावरे, दस वसां के न?
वस बीबी वस.
-पेक़े दी मेरी नवीं निशानी कूं कूं चरखा बोले,
मुडडे कत कत रात बितायी भर लए पछियाँ गोले,
अजे न कत्या सौ गज खद्दर हाय,
जदों दा चरखा डाया ए,
सस्स नूं तरस न आया ए.
तिरंजन बैठियाँ नाराँ...
-सरगी उठ मदानी रिड्कान,
भरूं लस्सी दा छन्ना,
ढोडा मक्खन ले के बेठुं,
जद आये मेरा चन्ना,
बारी होले तक नी लाडो हो-
के तेरा गबरू आया ए.
तिरंजन बैठियाँ नाराँ...
-चक्की मुड पे आता पीवन,
दोनों नन्द जिठाणी
.सस्स मिस्ससां झिडकां दित्तियां,
कौन लिआवे पाणी!
चटक मटक के भाबो आई हो,
सिरे ते मटका चाया ए.
तिरंजन बैठियाँ नाराँ...
-सौ हथ दी लज खुए दी,
खिच खिच बावाँ,
भार पिंडे ते धौण डौल गई,
दूर पिंडे दियां रावां,
दूरों किदरों फाती आये हो,
सिरे ते मटका चाया ए.
तिरंजन बैठियाँ नाराँ...
-नो मन कनक लियांदी बारों
ए लाले डे चाले,
साफ़ करदेयाँ मन नहीं ढाया,
हथीं पे गये छाले.
शाबा सानुं शाबा,
असां कम्म करदेयां मन नहीं ढाया ए.
तिरंजन बैठियाँ नाराँ...
-असीं निषंग मलंग बेलिया,
असीं निषंग मलंग,
सानु हसन खेडण भावे,
कम्म काज की आखे सानु,
मन दी मौज उड़ाइए,
जदों दी मैं मज्ज वेच के घोड़ी लई,
दुध्ह पीना रह गया ते लिद्द चुकणी पई,
रहे जागीर सलामत साडी हो
के रब ने भाग लगाया ए,
तिरंतन बैठिया नाराँ,
भला जी झुरमुट पाया ए...

Friday, January 29, 2010

पंजाबी लोकगीत- इन्दवा ते रासबिन्दवा-

 इन्दवा ते रासबिन्दवा
दो सके भराह,
दिन्ने जांदे नोकरी
कर आंदे बपार
इन्दवा पुतर पठानी दा
में इक राजे दी धी,
इन्दवे मारी पश्तो,
में न समझी
इन्दवे चुकया चिमटा
मै समझ गई
चल तेरी मेरी
चल कोडी फेरी
कई दिलां दी लैया वे इन्दवे
कई लाई  गावैया वे इन्दवे
चल इन्दवे उस देस नु
जिथे पकन अनार
तू तोड़ें में  वेचसां
इक धेले दे चार
चल तेरी मेरी
चल कोडी फेरी
कई दिलां दी लैय्या वे इन्दवे
कई लाई गवाय्या वे इन्दवे
चल तेरी मेरी
चल कोडी फेरी

Thursday, January 28, 2010

पंजाबी लोकगीत- लोहड़ी का गीत

पंजाब  में लोहड़ी त्यौहार आने के कई दिन पहले युवा लड़के-लड़कियां द्वार द्वार जा कर गाना गाते हुए लकड़ियाँ तथा मेवा मांग कर इकट्ठा कर लोहड़ी की रात आग जला कर नाचते गातें व फल मेवा खाते हैं:

लोहड़ी का गीत
कंडा कंडा नी लकडियो कंडा सी
इस कंडे दे नाल कलीरा सी
जुग जीवे नी भाबो तेरा वीरा सी,
पा माई पा , काले कुत्ते नू वी पा
कला कुत्ता दवे वदायइयाँ,
तेरियां जीवन मझियाँ गईयाँ,
मझियाँ गईयाँ दित्ता दुध,
तेरे जीवन सके पुत्त,
सक्के पुत्तां दी वदाई,
वोटी छम छम करदी आई.

Wednesday, January 20, 2010

1-राजस्थानी लोकगीत-- दिन उग्यो कूकड़ी बोले रे

1- दिन उग्यो कूकड़ी बोले रे

आई नव प्रभात

गवांरां गीगां हंस ल्यो रे
गयी अंधारी रात
नवां नवां हो झाड़ हाथ ले
सोत्डला में चालो चालो
खेतडला में चालो
अब हिम्मत, अब हिम्मत, अब हिम्मत,
की है बात रे
आयो नव प्रभात

कान खोल के सुण लो जवानो
धरती सोणा निपजे रे,
मेहनत सूं, मेहनत सूं, मेहनत सूं
निपजे रे गयी अंधारी रात
दिन उग्यो कूकड़ी बोले रे
आयो नव प्रभात

2-राजस्थानी लोकगीत-- ढोलर बाज्यो रे, बाज्यो रे

२- ढोलर बाज्यो रे, बाज्यो रे

सईयों आई सावण तीज सुहावणी,
नान्ही नान्ही बूंद पड़े छे
म्हारो लहरयो भीज्यो रे
सईयों आई सावण तीज सुहावणी,

ढोलर बाज्यो रे, बाज्यो रे
सईयों आई सावण तीज सुहावणी

कदम्बा की डाल पे
ढोलर घाल्यो, हीदड चाल्यो
हरिया बन की कोयल बोले
लागे चोखो भलो रे
सईयों आई सावण तीज सुहावणी,

ढोलर बाज्यो रे, बाज्यो रे
सईयों आई सावण तीज सुहावणी

आपस में हिलमिल झूला-
झोंटा दे द्यो रे
सईयों आई सावण तीज सुहावणी,
ढोलर बाज्यो रे, बाज्यो रे
सईयों आई सावण तीज सुहावणी
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Monday, January 18, 2010

5राजस्थानी लोकगीत-- भंवर म्हाने खेलण दयो गणगौर

भंवर म्हाने
खेलण दयो गणगौर,

ऐसी म्हारी
लाड बरण का बीर,

भंवर म्हाने
पूजन दयो गणगौर,

माथे पे मेमद ल्याओ ऐसी
म्हारी रखडी रतन जडायो,

भंवर म्हाने चूडला ल्याओ,
भंवर म्हारे पाँव मा पायल ल्याओ,

ऐसा  म्हारा बिछुआ
जुटणा बैठ घडायो

भंवर म्हाने खेलण दयो गणगौर.

7-राजस्थानी लोकगीत--जीजा सलहज कि नोक झोंक

जीजा सलहज कि नोक झोंक 

7-साल्यो पतली कासूं पड़गी 
पीवर बस के
जीज्यो पियो बसे परदेसों 
फीकर करके

साल्यो तार दूँ या चीठी 
बुलादुं तडके
जीज्यो मत दे तार चीठी 
गयो है लडके

जीज्यो गोदी धर ले चाल्यो, 
चोबारो छोटो
साल्यो बोल मत बोलो 
जीजो है छोटो

जीज्यो चूंदरी रंगादे 
कमाई करके
साल्यो बोल मत बोलो 
जीजो है छोटो

जीज्यो पागडी रंगाले 
कमाई करके
जीज्यो बाँध क्यों न आवे 
जमाई बनके.

8-राजस्थानी लोकगीत--तूं क्यों रान्याँ का भैय्या!

(भाई को बहन से मिलने ससुराल जाने को कहा जा रहा है

8-तूं क्यों रान्याँ का भैय्या!
नीन्दडली में सुत्यां राज.
थारी तो माँ की जाया
सासरियो में झूरे राज,
झूरेगी झूर मरे,
कोई कालो काग उडावे राज
उड़ रे म्हारो कालो कागो,
जे मेरो वीरो आवे राज
आवेगो  आधी रात,
पिलंगन ताजन सूती  राज
ऊठी छी वीर मिलन,
और  टूटयो बाई रो हारो राज
हारो तो फेर पुओसां,
वीरान सूँकद मिल्स्याँ राज,
चुग देगी सोन चिड़ी
और  पो देगो बणजारो राज,
कैठे की सोन चिड़ी
और कैठे को बणजारो राज,
दिल्ली की सोन चिड़ी
और जयपुर को बणजारो राज,
के मांगे सोन चिड़ी
और  के मांगे बणजारो राज,
घी मांगे सोन चिड़ी
और  गुड मांगे बणजारो राज,
घी देस्याँ सोन चिड़ी
और  गुड देस्याँ बणजारो राज,
तूं क्यों रायां का भैय्या
नीन्दडली में सुत्यां राज!
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