Sunday, February 28, 2010

काला डोरिया कुंडे विच अड़या होय-पंजाबी

काला डोरिया कुंडे विच अड़या होय
के छोट देवरा भाबी नल लड्या होय
न लड़ देवरा तेरी दूर भलाई वे
के न लड़ सोण्या तेरी इक भरजाई होय
कुकडी ओ लैणी जेड़ी आंडे देंदी ए
के सोरे नहीं जाणा सस्स मैंणे देंदी ए
काला डोरिया कुंडे विच अड़या होय
के छोट देवरा भाबी नल लड्या होय
कुकडी ओ लैणी जेड़ी कुडकुड करदी ए
के सोरे नहीं जाणा सस्स बुडबुड करदी ए
काला डोरिया कुंडे विच अड़या होय
के छोट देवरा भाबी नल लड्या होय
सुथणा छींट दियां मुल्तानों आयियाँ ने
सस्सां पराइयां ने जिनां गलों लवाइयाँ ने.
काला डोरिया कुंडे विच अड़या होय
के छोट देवरा भाबी नल लड्या होय
सुथणा छींट दियां जेणियाँ लाहौरों आइन्याँ ने
माँवां आपनियाँ जिन्ना सदराँ लाइयाँ ने.
काला डोरिया कुंडे विच अड़या होय
के छोट देवरा भाबी नल लड्या होय
साडी गली आ माहिया तेनु मज़ा चाखावांगे
आ खां माहिया वे तेनु कुत्ते लड़ावांगे
काला डोरिया कुंडे विच अड़या होय
के छोट देवरा भाबी नल लड्या होय

Saturday, February 27, 2010

पंजाबी गीत ( बेटे की शादी के अवसर पर)

सुच्ची वास्कट वालेया सोने दे बटन लवा
शाला तूं जीवें मुरादां वेखी माँ
अज मेरे राजे दी जंज चड़ी मुरादां नाल
जीवण जोगे दी जंज चड़ी मुरादां
इस मेरे सोणे दी माँ खुश पई थीन्दी ए
जीवण जोगे दी माँ खुश पई थीन्दी ए
लाल माण के न माण
सोणेया   माण के न माण
चूड़े वाली वोटी आण
चंबा कें राया कें राई चम्बेल
मरुआ कें राया साडे बुए दे चहुँ चफेर
सुच्ची वास्कट वालेया सोने दे बटन लवा
शाला तूं जीवें मुरादां वेखी माँ

होली है

होली है
रंगों  वाली होली है
रंग भर भर बरसे
होली है

होली आज ऐसे मनाना
पिय अंग से अंग मिलाना
सजन हमें ऐसे रंग लगाना
तन मन भीज  जाये
भीगूँ और भिजाऊं
रंगों से खूब नहालाऊँ

कुछ ऐसे पकवान पकाऊँ
सजन मन भायें-
लड्डू-जलेबी,गुजिया-कचोडी,
घेवर-इमारती,  बर्फी-पकौड़ी
डाल बाटी चूरमा
जो खाए वह सूरमा

कि होली है भई होली है
गुलाल  बरसे होली है
रंगों वाली होली है
रंग भर भर बरसे
होली है

Gori diyaN jhanjraN bulauNdiya gayeaN...gori diyan,

गोरी दियां झान्जरां  बुलौन्दिया  गैयाँ...
गोरी  दियां ,

गलियां दे  विच  दंड  पौन्दियाँ  गैयाँ...
गोरी  दियां .
अथरी  जवानी  गल्लां  पयी   दसदी ,
माह़ी  गुसे हो  गया  न  गल  वस  दी ,
राह जांदे राहिय  नू  सुनौन्दिया  गैयाँ .
गोरी  दियां ............................................. ...!
काले  जे  दुपट्टे  ने  की  पयेई   नीर  नी ,
घुण्ड   विच  नैन  ओहदे  लए  घेर  ने ,
मित्रां  दा  दिल  तदपौन्दिया  गैयाँ .
गोरी  दियन ...................................!
सान्बे  जाण  नखरे  न  अंग  अंग  दे ,
वीणी उठे  नाच्दे  बिलोरी  रंद  गे ,
अशिका  दे  लहू  च  नहौन्दिया  गयेइअण .
गोरी  दियां .........................................!
सांब  के  तू  रख  लै  ननाने  गोरिये ,
रूप  दा  सिंगार  जालीदार  डोरिये,
नूरपुरी  कोल  शर्माऊ नदीय  गेयान .
गोरी  दियां  झंज्रण ...........................!
गलियां  दे  विच  दंड  पौन्दिया  गयें .





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Friday, February 26, 2010

डाची वालेया मोड़ मुहाल वे,
सोणी वालेया लै च नाल वे
तेरी डाची दे गल विच तल्लियाँ
ओये मैं पीर मनाण  नूं चकुइयन

Wednesday, February 24, 2010

फुल्लां दी बहार राती आयों न -पंजाबी

 फुल्लां दी  बहार राती आयों न
शाब्बा राती आयों न
फुल गये कुम्ला गौरी  मन भायो न
शाब्बा राती आयों न
आसे पावां पासे पावां विच विच पावां कलियाँ 
जे मेरा रान्जण न मिलया, मैं  ढुंडियां सारियां गालियाँ
राती आयों न
फुल्लां दी बहार राती आयों न
शाब्बा राती आयों न

इक मेरा रान्जण आया-शाब्बा
दिल दा सांजण आया-शाब्बा
दिल दी मस्ती आई- शाब्बा
खिड खिड हस्ती आई-शाब्बा
इक मेरा लाल गवाचा- शाब्बा
लाल गुपाल गवाचा-शाबा

नी सुण मेरिये माये-शाब्बा
डीवा बाल चुबारे-शाब्बा
नी मेरा दिल घबराया-शाब्बा
नी मेरा लाल न आया-शाब्बा
लाल गुपाल न आया-शाब्बा
फुल्लां दी बहार राती-आयों न
शाब्बा राती आयों न
फुल गये कुम्ला गौरी मन भायो न
शाब्बा राती आयों न

शाब्बा चरखा चन्दन दा
शाब्बा चरखा चन्दन दा
चरखा कूकर  देंदा-शाब्बा
कूकर लगी कलेजे-शाब्बा
इक मेरा दिल पाया धडके-शाब्बा
दूजे कंगणा छणके-शाब्बा
राती आयों न
फुल्लां दी बहार राती आयों न
शाब्बा राती आयों न
फुल गये कुम्ला गौरी मन भायो न

चरखा चन्दन दा
शाब्बा चरखा चन्दन दा
माँ मेरी ने चरखा दित्ता
विच चरखे दे  मेखां
माँ राणी मैनू  याद पई आवे
झट चरखे वल वेखां
चरखा चन्दन दा
शाब्बा चरखा चन्दन दा
फुल्लां दी बहार राती यों न
शाब्बा राती आयों न

आसे पावां  पासे पावां विच विच पान्वां रेशम
जे मेरा रान्जण न मिलया मैं ढूंडा सारा टेशन
राती आयों न
शाब्बा राती आयों न
फुल्लां दी बहार राती आयों न
शाब्बा राती आयों न
फुल गये कुम्ला गौरी मन भायो न
शाब्बा राती आयों न

Tuesday, February 23, 2010

जोगी मैं तो लुट गयी तेरे प्यार में

जोगी मैं तो लुट गयी तेरे प्यार में
हाय तुझे इसकी  खबर कब होगी

बागे दे विच सपणी जे सुइए
ते कारदी ए मेनू मेनू
बच के  निकलीं  मेरेया माहिया
कि न लड़ जावे तैनू
लुट्टी हीर वे यरां दी
हाल वे रब्बा मारी तेरियां गमां दी.

चलो सहियो चल वेखण   चलिए
रांझे दा चौबारा
हीर विचारी इट्टा  ढोवे
ते राँझा ढोवे गारा
लुट्टी हीर वे यरां दी
हाल वे रब्बा मारी तेरियां गमां दी.

चलो सहियो चल वेखण चलिए
रांझे पाई हट्टी
हीर निमाणी कम करेंदी
हाय न होवे खट्टी
लुट्टी हीर वे यरां दी

हाल वे रब्बा मारी तेरियां गमां दी.

Saturday, February 20, 2010

डिग पई नी गौरी शीश महल तों,

डिग पई नी गौरी शीश महल तों,
पा देवो नी मेरे माहिये वल चिठियाँ,
पहुंच गई नी चिट्ठी विच कैचहरी,
पढ़ लई नी माहिये पटां उत्ते धर के,
मंग लई नी माहिये छुट्टी दफ्तर तों,
कस लईयां नी माहिये बूट जराबां,
पहुंच गया  नी माहिया कोल गौरी दे,
दस खां नी गौरिये हाल दिलां दे,
सुण माहिया वे हुन्दी पीड कलेजे, 
छोड़ क्यों  गयों माहिये विच अगां दे,

लै जा वे माहिये नाळ शहरां नूं,
हाँ हाँ गौरिये चल नाल तु मेरे
जित्थे रवां मैं  उत्थे तेनु वी लै जावांगा.


Tuesday, February 9, 2010

पंजाबी लोकगीत: जग्गा जमया ते मिलन वधाईयां

जग्गा जमया ते मिलन वधाईयां,
के वड्डा हो के डाके डालदा,
जगया!
के तुर परदेस गयों वे
बुआ वजया!

-जदों, जमया ते मिलन वधाईयां,
के सारे पिंड गुड वण्डया,
जगया!
के तुर परदेस गयों वे बुआ वजया!

-जे मैं जाणदी जग्गे मर जाणा,  
मैं इक थाईं  दो जणदी, 
जगया!
टुट्टी होई माँ दे कलेजे
छुरा वजया!

-जग्गे मारया लैलपुर डाका,
तारां खड़क गईयाँ आपे,
तारीख पुग्तनगे तेरे मापे,

-जग्गे जिन्दे नू सूली उत्ते टंगया,
 ते भैण दा सुहाग चुमके,
मखाना!
के क्यों तुर चले गयों
बेडा चखना,

जग्गा मारया बोड दी छां ते,  
नौ मण रेत भिज गयी, सूरना!
हाय माँ दा मार दित्तइ  पुत्त सूरमा,

जग्गा जट्ट दा, जांघिया पट्ट दा
के किल्ले उत्ते टंगया रह गया-सूरना!  
नईयां ने वड छडया जग्गा सूरमा!


कच्चे पुल्ले ते लड़ाईयां होइयां,
के छाबियाँ दे घुण्ड मुड़ गये,
जगया, के तुर परदेस गयों वे बुआ वजया,

-चली दुक्खां दी अन्हेरी ऐसी,  
दीवे वाली लाट बुझ गयी,
चानना!
वे तेरे बिना मान कित्थे?
नहिंयों जानना?

- वे तू दुक्ख पुत्तरां दा वेखें,   
वे टूटे तेरा मान हाकमा,
ढोल वे!
के गंगाजल विच क्यों दित्तइ
जहर घोल वे,

-सानू शगणा दा कर दे लीरा,  
के छड़ेयां दा पुन्न तोड़  दे, 
हाल नी!
के होणी खेड गयी चाल,
नेरे नाळ नी,

-बारी खोल के यारी दी लाज रख लै,
 लाज रख लै, मित्तरो! तेरे चन दी,
नारे नी
देख तेनु सज्जन बुए ते वाजाँ मारे नी,

-लम्ब होकयां दे बल पये  औंदे ,  
के खदरान नू अग्ग लग गई,  हाय नी!
के भौर उड़ गये ते फुल  कुम्ल्हाने नी.

Sunday, February 7, 2010

गुजरती लोकगीत: गुजरती लोकगीत

वान्ना वगडा न वायरा वायरे,
कन्ने घूमरियो घुम तो गायरे,

रासे रमे, रासे रमे,
गोप गोपियों नी संग,
जामयो वृन्दावन ने मार गड़े रंग,

वान्ना वगडा न वायरा वायरे,
कन्ने घुमरिया घूम तो गायरे.

घेरी घेरी, घेरी घेरी,
एनी वागे मुरलियो,
गौरी गौरी राधा ने,
सुंदर श्यामडियो,

वान्ना वगडा न वायरा वायरे,
कन्ने घुमरिया घूम तो गायरे.

पंजाबी गीत: "लायी वी न गयी ते निभाई वी न गयी",

लायी वी न गयी ते निभाई वी न गयी,
मेरे माण दा जहां जग सारा,
तेरी मेरी यों टुट गयी, सोणिए!
जिन्वे टुटया अम्बरों तारा.
लायी वी न गयी ते निभाई वी न गयी,

सोच्च्या नहीं सी, मेरा प्यार भुल जायेंगी,
एन्ने कीते कीते होए, करार भुल जाएँगी,
करार भूल जाएँगी,
दिल मिल के बिछड़ गया यारा,
तेरी मेरी यों टुट गयी, सोणिए!
जिन्वे टुटया अम्बरों तारा.
लायी वी न गयी ते निभाई वी न गयी,

सच्चा न बुरा था, मुहं मोड़ जाण वालिये
दिल लै के मेरा, दिल तोड़ जाण वालिये
हाय दिल टुटया न जुड़े दुबारा
तेरी मेरी यों टुट गयी, सोणिए!
जिन्वे टुटया अम्बरों तारा-
लायी वि न गयी ते निभाई वि न गयी,

मेरे माणदा जहां जग सारा,
तेरी मेरी यों टुट गयी, सोणिए!
जिन्वे टुटया अम्बर तों तारा.

Saturday, February 6, 2010

पंजाबी गीत: संतर्या वे रस देया भरया,

 संतर्या वे रस देया भरया,
माही गंगा दे राह विच लड्या,
के एत्थों दिल सड़या,
वन्जारेया, वारी मेरी जाण,
 लगें पियारेया,

संतरा ते फुट्टियां फुट्टियां,
माही दफ्तरों मंगियाँ छुट्टियाँ,
के  छुट्टी नहियों मिलदी,
व्न्जारेया, वारी मेरी जाण,
लगें पियारेया,

संतरा ते रस पयी चोवे,
माही भरी कचेहरी रोवे,
के छुट्टी नहियों मिलदी,
वनजारेया, वारी मेरी जाण,
लगें पियारेया,


तेरे भाइयां ने वंड लए भांडे,
न जावीं बिशार्मा लेणे,
के इको भांडा आउगा,
वनजारेया, वारी मेरी जाण,
लगें पियारेया,.

सानु इको भांडा बथेरा,
थाल मेरा ते कौल तेरा,
ते काके दी गिलासी आ,
वनजारेया, वारी मेरी जाण,
लगें पियारेया.

तेरे भाइयां ने वण्ड लए मकान,
न जावीं बिशार्मा लेणे,
के इको मकान आउगा,
वनजारेया, वारी मेरी जाण
लगें पियारेया.

सानु इको मकान बथेरा, 
कमरा तेरा ते हाल मेरा
ते काके दी कोठी आ,
 वनजारेया, वारी मेरी जाण.
 लगें पियारेया.

तेरे भाइयां ने वण्ड लए गहने
न जावीं बिशरमा लेणे
के इको गहना आउगा,
 वनजारेया, वारी मेरी जाण.
 लगें पियारेया.

सानु इको गहना बथेरा
छाप मेरी ते हार तेरा,
ते काके दी जंजीरी आ
वन्जारेया वारी मेरी जान
लगें पियारेया.

पंजाबी गीत: जा वे ढोलना मैं नहिंयों बोलना

जा वे ढोलना मैं नहिंयों   बोलना,
तेरी साड्डी बस वे,
राती कित्थे  गया सें,
 राती कित्थे गया सें वे,
वे राती कित्थे गया सें


  जद  मैं पुछिया सस्स कोलो,
 तेरा पुत्त कदों  घर औ, 
कहन्दी तेरी कलमुन्ही,
जद तू  घर छड  के जाऊ,
हाय मरे   ऐहो   जेह़ी सस्स वे,
राती कित्थे गया सें,
वे राती कित्थे गया सें,


जद मैं कया सोहरे  नू   तेरा पूत बड़ा आवारा, 
 कहंदा मेरा पुत्त तां   हीरा,
 तू  शदाइ ,  झल्ली,
 घर विच मच गाए, घंड मार,
वे  राती कित्थे गया सें, 
वे राती कित्थे गया सें,



जद मैं कह देवर नु,
 तेरा वीर क्यों नई आया,
 कहंदा भाभी रुल  दिता तू,
मेरी माँ   दा जाया, 
हाय कित्थे गयी  मैं फस वे, 
राती कित्थे गया सें, 
वे राती कित्थे गया सें,


जद मैं पूछिय दिल कोलो,
तेरा कित्थे गया राह कोटी,  
कहंदा कित्थे जायेगा  ओह,
तेरे जेह़ी छड़  के वोहटी, 
एह सुन   के पये मैं हास पई,
वे  राती कित्थे गया सें, 
वे राती कित्थे गया सें.

Friday, February 5, 2010

पंजाबी गीत: लायिया ते तोड़ निभावीं,

लायिया ते तोड़ निभावीं,
चन्न वे,
छड के न जान्वीं,
बीबा छड के न जांवीं...

माही सहुकारा वे,
कुड़ी मैं गरीबाँ दी,
तेरे हथ डोर,
चन्ना मेरिया,
मेरे नसीबाँ दी,
लायिया ते तोड़ निभावीं...
चन्न वे,
छड के न जान्वीं बीबा,
छड के न जांवीं...

किसे किसे वेले चन्ना मेरेया,
जाण मेरी दरदी वे,
सुनया ऐ लगी होई,
तोड़ नइयों छडदी,
चन्न वे,
लायियाँ ते तोड़ निभावीं,
छड के न जान्वीं,
बीबा छड के न जान्वीं

इस ताज महल उत्ते एहियो सोहे,
जिंदगी चलाई ए तेरे नाम लई,
हाँ तेरे नाम लई,
लायियाँ ते तोड़ निभावीं,
चन्न वे,
छड के न जान्वीं,
बीबा छड के न जांवीं...

पंजाबी गीत: ढोल चन वे,

 ढोल चन वे,
लखां तेरियां मन्निया,
तू इक मन वे,
ढोल मखणा,
दिल राजी रखना.
उची माड़ी ते दुध पई रिडकां,
मेनू सारे टब्बर दियां झिडकां,
मेनू तेरा इ दिलासा,
वे चन्न वे...
वे बाजार विकेंदी बर्फी,
मेनू ल्यादे दे निक्की जहि चरखी,
ते दुक्खा दियां पूनियां,
वे चन्न वे...
वे बाजार विके दुध कडया,
माह़ी कंजरी दे नालों फडया,
हाय एथों दिल सडया,
वे चन्न वे.

Thursday, February 4, 2010

पंजाबी लोकगीत. इक मेरी अख काशनी,:

इक मेरी अख काशनी,
दूजा रात दे उन्नींद्रे ने मारेया,
शीशे ते तरेड़  पै गयी, 
वाल वौंदी ने  धयान जदों मारेया,
के इक मेरी अख ....

इक मेरी सस्स चंदरी,
भैड़ी रोही दे बूटे नालों काली,
दिन रात रवे घूरदी, 
नाले दवे मेरे माँ-पयां नू गाली,
नी क़ेहडा उस  चंदरी दा,
असां  लचियां दा बाग उजाड़ेया,
के इक मेरी अख काशनी...

 के इक मेरा दियोर निकड़ा,
भैडा गौरियाँ रन्ना दा शौकी,
ढुक ढुक नेह्ड़े बैठदा,
रख सामणे रंगीली चौंकी,
नी इस्से गल तों डरदी ,
असां तीक वी न घुण्ड नूं उतारया,
के इक मेरी अख काशनी...

इक मेरा कंत ज़िम्वे, 
रात चानड़ी च दुध डा कटोरा,
रात दे सिन्दूरी रंग दा,
ओदे नैणा च शराबी डोरा,
नी इको गल माड़ी उसदी,
लाईलग नु है माँ ने बिगाडिया.

के इक मेरी अख काशनी,
दूजा रात दे उन्नींद्रे ने मारेया,
शीशे ते तरेड पै गयी,
वाल वौंदी नु धयान जदों मारेया.

Tuesday, February 2, 2010

राजस्थानी---गीत काहे को ब्याही बिदेस रे

 गीत काहे को ब्याही बिदेस रे
सुण बाबुल म्हारे,
भैया को दीना बाबुल महेला दुमेहला
म्हारे को  दियो  परदेस रे
सुण बाबुल म्हारे,
हम तो बाबुल थारे खूंटे की गैया,
जिधर बांधा बांध जाये रे,
सुण बाबुल म्हारे,'
जद म्हारो डोला महलों से निकला,
अम्मा ने खाई पछाड़ रे,
सुण बाबुल म्हारे,
जद म्हारो  डोला सडक पर आयो ,
भैया ने खाई पछाड़ रे,
सुण बाबुल म्हारे,
जद म्हारो डोलो बागां  मँ आयो,
कोयल बोल्यो तीखो बोल रे
सुण बाबुल म्हारो.

ए काली कोयल तू काहे बोल्यो,
हमको मिला परदेस रे,
सुण बाबुल म्हारो.

डोली रो पर्दों उठाके जग रोयो,
अब साजान जी रा देस रे,
सुण बाबुल म्हारो.

राजस्थानी गीत-- बन्नी पिछवाड़े रो आणा जाणा छोड़ दे,

बन्नी पिछवाड़े  रो
आणा  जाणा  छोड़ दे,

हाथ थारे  रेशम सरीखे
बन्नी मेंहंदी रो  लगाणा छोड़ दे,

पग थारे कमल् सरीखे,
बन्नी पायल रो
पहनना छोड़ दे,

बाल थारे रेशम सरीखे,
बन्नी वेणी रो
लगाणा छोड़ दे,

आँख थारी हिरणी सरीखी,
बन्नी काजल्ड रो
लगाणा छोड़ दे.

राजस्थानी गीत-- काच्ची कली न तोड़ रे बनडे ,

  काच्ची कली न तोड़ रे  बनडे  ,
डाली झुक आई.
हाँ रे डाली झुक आई,

शीश बन्ने के सेहरा सोहे,
लड़ियों पर नज़र हमारी,
रे बनडे डाली झुक आई,

अरे हाँ डाली झुक आई,
काच्ची कली न तोड़ रे बनडे ,

डाली झुक आई.

राजस्थानी लोक गीत---हाथी का हज़ार लागे,

हाथी का हज़ार  लागे, 
घोड़े का पचास लागे.
बाइसिकल का साठ 
जी   बन्ना,

दे दियो तार मंगा लिणी मोटर.
बैठ पडब वाको चाला
जी बन्ना.

हाथी का हज़ार लागे,
घोड़े का पचास लागे.