Monday, January 18, 2010

8-राजस्थानी लोकगीत--तूं क्यों रान्याँ का भैय्या!

(भाई को बहन से मिलने ससुराल जाने को कहा जा रहा है

8-तूं क्यों रान्याँ का भैय्या!
नीन्दडली में सुत्यां राज.
थारी तो माँ की जाया
सासरियो में झूरे राज,
झूरेगी झूर मरे,
कोई कालो काग उडावे राज
उड़ रे म्हारो कालो कागो,
जे मेरो वीरो आवे राज
आवेगो  आधी रात,
पिलंगन ताजन सूती  राज
ऊठी छी वीर मिलन,
और  टूटयो बाई रो हारो राज
हारो तो फेर पुओसां,
वीरान सूँकद मिल्स्याँ राज,
चुग देगी सोन चिड़ी
और  पो देगो बणजारो राज,
कैठे की सोन चिड़ी
और कैठे को बणजारो राज,
दिल्ली की सोन चिड़ी
और जयपुर को बणजारो राज,
के मांगे सोन चिड़ी
और  के मांगे बणजारो राज,
घी मांगे सोन चिड़ी
और  गुड मांगे बणजारो राज,
घी देस्याँ सोन चिड़ी
और  गुड देस्याँ बणजारो राज,
तूं क्यों रायां का भैय्या
नीन्दडली में सुत्यां राज!
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